अन्ना हजारे को शांति का अगला नॉवेल पुरस्कार मिलना अब लगभग तय हो गया है...इस देश में गाँधी के बाद अन्ना ने वो कर दिखाया है...जिसकी उम्मीद केवल और केवल दुनिया इसी देश से करती है...आज़ादी की लड़ाई के बाद देश में पहली बार ऐसी क्रांति हुई जो केवल और केवल अहिंसा के बल पर हुई...मैं अपने देश के उन जागरूक लोगो से सिर्फ इतना ही कहना चाहता हू..कि जैसी जागरूकता अन्ना के इस आन्दोलन में दिखाई है...वैसी ही उदाहरण २०१४ के आम चुनावों में भी दिखा दे...तो इस देश की तकदीर ही बदल जाएगी....लेकिन इस बार मुझे उम्मीद है....कि जागरूकता का ये अध्याय यही ख़त्म नही होगा....
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